ऋषिकेश, - परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव, शिक्षा के साथ संस्कार, मूल्य आधारित शिक्षा, भारतीय संस्कृति, शिक्षा में ग्रीन बोनस, विद्यार्थियों को ग्रीन मार्क जैसे विषयों पर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार, रमेश पोखरियाल ''निशंक'' से चर्चा की।
स्वामी ने कहा कि छात्रों को ग्रेस मार्क दिये जाते है मुझे तो लगता है अब ग्रीन मार्क देने की जरूरत है। शिक्षा के क्षेत्र में एक हरित क्रान्ति की जरूरत है। स्कूलों और काॅलेजों की रेटिंग परीक्षा के परिणाम के आधार पर होती है परन्तु अब स्वच्छता रेटिंग, हरियाली रेटिंग जल संरक्षण रेटिंग के आधार पर स्कूलों के मानक निर्धारित होेने चाहिये। साथ ही छात्रों और शिक्षकों को एक वर्ष में कम से कम 11 पौधें लगाने और उनके संरक्षण के लिये प्रेरित किया जाना चाहिये। छात्रों को डिग्री तभी देनी चाहिये जब में अपने असाइनमेंट के तौर पर 11-11 पौधों का रोप और संरक्षण करे। उन्होने कहा कि छात्रों को पाठ्यक्रम के साथ पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण के लिये चिंतन, वृक्षारोपण, पर्यावरण का विस्तृत अध्ययन प्रत्येक छात्र के लिये अनिवार्य होना चाहिये। साथ ही जितने बच्चे उतने पेड़ को हर स्कूल का ध्येय बनाने की जरूरत है। हमारे पाठ्यक्रम की शुरूआत ही पर्यावरण की शिक्षा से होनी चाहिये। स्कूलों के आस-पास का परिसर हराभरा हो यह नियम की तरह लागू करना होगा। स्वामी जी ने निशंक जी से कहा कि हिमालय का पुत्र ही हिमालय के दर्द को समझ सकता है और इसके लिये हिमालय पुत्र सक्षम है।मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर देते हुये कहा कि शिक्षा के साथ दीक्षा, संस्कार और संस्कृति का भी समावेश हो तभी हम बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकते है।
छात्रों को ग्रेस मार्क नहीं बल्कि ग्रीन मार्क दिये जाये-स्वामी चिदानन्द सरस्वती