देहरादून ( ओम रतूड़ी ) । कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार व नेशनल हैंडलूम डेवलपमेंट कारपोरेशन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सिल्क फैब प्रदर्शनी का रविवार को बतौर मुख्य अतिथि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत ने विधिवत उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में बुनकरों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए एम्स ऋषिकेश की ओर से निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन भी किया गया। भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम की ओर से रविवार से देहरादून में शुरू हुई। नेशनल सिल्क फैब प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने कहा कि यह प्रदर्शनी बुनकरों और उपभोक्ताओं के मध्य आपसी संवाद का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने हतकरघा उद्योग को बढ़ावा देने और इसके और अधिक प्रचार प्रसार पर जोर दिया। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने सुझाव दिया कि मेडिकल एसोसिएशन, इंडियन मिलिट्री एकेडमी, लाल बहादुर शास्त्री अकादमी आदि के माध्यम से भी हतकरघा उद्याेग को बढ़ावा देने को सहयोग लिया जा सकता है। प्रदर्शनी में नेशनल हैंडलूम कारपोरेशन लिमिटेड के निदेशक संजीव दुआ की ओर से बताया गया कि सिल्क फैब प्रदर्शनी हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के प्रयासों से विभिन्न शहरों में उपभोक्ताओं को अपने उत्पादों को बाजार में पहुंचाने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में विभिन्न राज्य सरकार के निकायों, सर्वोच्च समितियों, प्राथमिक हथकरघा बुनकर सहकारी समितियों और हस्तनिर्मित एजेंसियां प्रतिभाग कर रही हैं। जिनमें 7 राज्यों से करीब 40 एजेंसियां शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 65 लाख लोगों को रोजगार देता है, जो देश में केवल कृषि क्षेत्र के लिए है। हथकरघा बुनाई की कला में इससे जुड़े पारंपरिक मूल्य हैं और प्रत्येक क्षेत्र में उत्तम किस्में हैं। रेशम उत्पादों जैसे पैठानी, कांजीवरम, बनारसी, जामदानी, बालूचरी, कांथा और इक्कट की विशिष्टता कुछ खास नाम से दुनियाभर में ग्राहकों को आकर्षित करने वाली बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकनों के साथ है।
सिल्क फैब प्रदर्शनी का उदघाटन