ऋषिकेश, ( उत्तराखंड) ( ओम रतूड़ी) । परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पर्यटन विविधता में एकता का उत्सव है। उन्होंने यह बात शुक्रवार को परमार्थ निकेतन में 'विश्व पर्यटन दिवस' के अवसर पर बाली-इण्डोनेशिया से आए दल के समक्ष कहे। इस मौके पर गिरिन्द्रा के मार्गदर्शन में पहुंचे 20 विदुषियों (महिला आचार्य) के दल ने निकेतन में स्थित बाली संस्कृति के प्रतीक पद्मासना मन्दिर में विशेष पूजा अर्चना की, तत्पश्चात परमार्थ गंगा आरती में भाग लिया।
स्वामी चिदानन्द ने कहा, पर्यटन को वैश्विक रूप से बढ़ावा देने के लिये एक-दूसरे की संस्कृति को आपस में साझा करना नींव का पत्थर साबित हो सकता है। पर्यटन को वैश्विक रूप से बढ़ाने के लिये हमें सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने के साथ आपसी भाईचारे को विकसित करना होगा। उन्होने कहा कि हम पर्यटन के माध्यम से आज की वैश्विक समस्याओं यथा प्रदूषित और घटता जल स्तर, पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिग जैसे अनेक समस्याओं पर खुलकर चर्चा की जा सकती है तथा इन समस्याओं के समाधान के लिये पर्यटन को एक सशक्त माध्यम के रूप में उपयोग करना बेहतर होगा। वैश्विक पर्यटन के माध्यम से हम विश्व की संस्कृतियों को आपस में जोड़कर विविधता में एकता को विकसित कर सकते है। वास्तव में देखा जाये तो ''पर्यटन विविधता में एकता का एक उत्सव है''। बाली-इण्डोनेशिया से आये दल के सदस्यों ने आचार्या इड़ा पेडंडा इस्तरी नगुराह, आचार्या इड़ा पेडंडा इस्तरी सिंगारसा, आचार्य ग्रिया गेगे कुटर, सिंगापडू, जियनयार के मार्गदर्शन में विशेष मंत्रों से पूजन किया। स्वामी चिदानन्द ने बताया कि इस बार विश्व पर्यटन दिवस की थीम ''टूरिज्म एंड जाॅब-ए बेटर फ्यूचर फाॅर आॅल'' रखी गयी है। वास्तव में हम एक दूसरे की संस्कृति के साथ अगर तकनीक को भी साझा करते है और मिलकर कार्य करते है तो इससे हमें बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।
बाली -इन्डोनेशिया से आयी पुत्री गिरींद्रा ने बताया कि इस वर्ष परमार्थ निकेतन में यह उनकी तीसरी यात्रा है, दो बार वह अपने परिवार के साथ आयी थी, इस बार विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भारत, बाली संस्कृति के आदान-प्रदान के लिये वह 20 विदुषियों के साथ परमार्थ गंगा तट पर स्थित पद्मासना और माँ गंगा के दर्शन के लिये आयी है। उन्होने बताया कि इसी वर्ष नवम्बर माह में परमार्थ निकेतन में उनकी पांच दिवसीय विजिट रहेगी। वास्तव में भारत, भारत की संस्कृति, भारतीयों की आत्मीयता और परमार्थ निकेतन का अतिथि सत्कार करने का तरीका अद्भुत है। पुत्री गिरींद्रा ने बताया कि नवम्बर माह में वे परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को बाली-इण्डोनेशिया में होने वाली 'अन्तर्राष्ट्रीय व्यावसायिक सम्मेलन' में विशिष्ट अतिथि के रूप सहभाग करने हेतु आंमत्रित करने आयेंगी।